January 21, 2025

इंदौर। दिगम्बर जैन समाज के संत आचार्य श्री 108 विमद सागर जी ने शनिवार को इंदौर के नन्दानगर जैन मन्दिर कक्ष में फांसी लगाकर जान दे दी। आचार्य चातुर्मास के लिए इंदौर में विराजमान थे। आचार्य विमद सागरजी ने मात्र 15 वर्ष की उम्र में दिक्षा ग्रहण की थी और वे आचार्य विराट सागर जी के शिष्य थे।

28 वर्ष की साधू तपस्या के बाद आचार्य श्री ने 44 वर्ष की उम्र में फाँसी लगाकर जान दे दी। बताया जा रहा है कि आज दोपहर 2 बजे के क़रीब आचार्य श्री अपने कमरे में गए थे। लेकिन इसके बाद जब लंबे समय तक बाहर नहीं निकले तो वहाँ मौजूद लोगों ने उन्हें बुलाने के लिए उनके कमरे में झांका तो मालूम हुआ कि वे फाँसी के फंदे पर लटके हुए थे। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौक़े पर पहुँच कर जाँच पड़ताल शुरू कर दी है। फाँसी लगाने का कारण अभी पता नहीं चला है। संत के इस तरह फांसी लगाने को लेकर इंदौर सहित समूचे जैन समाज के लोग हतप्रभ है। क्योंकि संत तो समाज को राह दिखाते हैं लेकिन वही इस तरह के कदम उठाएंगे तो फिर आमजन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यह एक बड़ा विचारणीय प्रश्न है..???