उज्जैन। गोविन्द सोलंकी
जूनागढ़ गिरनार की सनातनी पवित्र भूमि को बदनाम करने के महेश गिरी वैश्य जो कि मूलतः नाशिक महाराष्ट्र से आते है,अपने को कहते तो साधु है पर इनके अंदर साधु जैसे कोई लक्छण दिखाई नही देते,दिल्ली में श्री श्री रविशंकर महाराज के सम्पर्क में आये तो वहाँ राजनीति करने लगे,उस दौरान कुर्ता पायजामा से लेकर पेंट शर्ट पहनने लगे,दिल्ली की जनता और श्री श्री ने भगाया तो भगवान दत्तात्रेय की तपस्या स्थली गिरनार ने मंदिर हड़पो दल बनाकर धर्म की राजनीति करने लगे।
जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ नेमिनाथ महाराज गिरनार जी की परिक्रमा करने आने वाले जैन धर्मावलंबियों के खिलाफ बातें कही गई,जैन संतो के सिर काटने की धमकी दी गई, पर गुजरात सरकार ने महेश गिरी की इन सांप्रदायिक भावना भड़काने की हरकतों पर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते इन्होंने अब श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के मुख्य संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि जी महाराज के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करते हुए मनगढ़ंत पत्र दिखाते हुए आरोप लगाए जो की प्रथम दृष्टया देखने से ही गलत साबित होते हैं, इस मामले में अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मां मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने महेश गिरी को जितनी जल्दी हो सके गिरनार को छोड़ दे और हरी गिरी महाराज से लिखित में माफी मांगे, अन्यथा देश भर में उसकी इन हरकतों के चलते वह भगवाधारी के रूप में कभी स्थापित तो क्या अपनी पहचान तक नहीं बचा पाएंगे, श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने इस आशय का एक पत्र गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ ही जूनागढ़ के कलेक्टर को भेज कर कार्रवाई की मांग की है।
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