January 22, 2025

कुलपति बोले, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के साथ गत दो वर्षों में खुले हैं उच्च शिक्षा की नई सम्भावनाओं के द्वार, दो वर्षों के कार्यकाल में हुआ है व्यापक विकास

उज्जैन। 2 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडे ने सोमवार को अपनी उपलब्धियों को मीडिया के सामने रखा। उन्होंने कहा कि इस अवधि में 200 से अधिक नए पाठ्यक्रम खोले गए। जिनमें कई प्रोफेशनल कोर्सेस शामिल है और इन में प्रवेश लेकर विद्यार्थी अपना सुनहरा भविष्य गढ़ रहे हैं। इसी दौरान सात नई अध्ययनशालाएं भी प्रारम्भ की गई। इसके साथ ही कुलपति प्रो. पांडे के कार्यकाल में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों से 53 एमओयू भी विश्वविद्यालय के अकादमिक व रचनात्मक विकास के लिए साइन किए गए हैं।

मीडिया को संबोधित करते कुलपति प्रो. पांडे
शलाका दीर्घा में उपस्थित मीडिया बंधु।।

विक्रम विश्वविद्यालय के शलाका दीर्घा सभागार में कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने उपलब्धियों का वर्णन करते हुए मीडिया कर्मियों को सम्बोधित किया। उनके साथ कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा उपस्थित रहे। वे बोले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के साथ दो वर्षों में विक्रम विश्वविद्यालय ने कई बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इनमें प्रमुख हैं प्रवेश में व्यापक अभिवृद्धि, नए पाठ्यक्रमों की संख्या में वृद्धि, शिक्षा में नई तकनीक का उपयोग, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्टार्टअप्स, पेटेंट्स, शिक्षा और अनुसंधान में नवाचार आदि शामिल हैं। विक्रम विश्वविद्यालय का पुरातत्व एवं उत्खनन विभाग देश के प्रमुख विभागों में से एक है, जिसे पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर जी द्वारा पुरातात्विक उत्खननों के माध्यम से समृद्ध किया गया। इसमें 472 अतिप्राचीन दुर्लभ प्रतिमाएँ संग्रहीत हैं, संग्रहालय के उन्नयन का प्रयास विश्वविद्यालय द्वारा प्रारंभ किया गया है। उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव के अविस्मरणीय प्रयासों से विश्वविद्यालय प्रगति पथ पर अग्रसर है। उनके प्रयत्नों से विक्रम कीर्ति मन्दिर पुनः विश्वविद्यालय को प्राप्त हो गया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगभग 14 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से विश्वविद्यालय के पुरातत्व और पुरातन पांडुलिपि संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

करोड़ों का फंड मिला, 8 करोड़ का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

कुलपति प्रो पांडेय ने बताया कि मंत्री डॉ मोहन यादव ने विक्रम विश्वविद्यालय के कृषि अध्ययनशाला भवन के लिए राशि रु 16 करोड़, छात्रावास के लिए रु चार करोड़, शारीरिक शिक्षा विभाग के लिए 5 करोड़ रु, विधि अध्ययनशाला भवन के लिए 5 करोड़ रु, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए राशि रु 8 करोड़, मालवी शोध पीठ के लिए राशि रु 20 लाख का फंड स्वीकृत करने का निर्णय लिया है। जो विश्वविद्यालय के विकास की नई इबारत सिद्ध होंगे।

नए पाठ्यक्रम आरंभ कराने में इनका विशेष योगदान

विधि अध्ययनशाला में बीएएलएलबी पाठ्यक्रम को प्रारम्भ करवाने में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रताप मेहता एवं कार्यपरिषद सदस्य संजय नाहर का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। पर्यावरण संबंधी पाठ्यक्रम एवं गतिविधियों के लिए कार्यपरिषद सदस्य श्री सचिन दवे, उद्योगों के साथ विश्वविद्यालय के अंतःसंबंधों के लिए कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेशसिंह कुशवाह, कृषि पाठ्यक्रमों के लिए कार्यपरिषद सदस्य डॉ विनोद यादव, महिलाओं की शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए कार्यपरिषद सदस्य ममता बैंडवाल एवं डॉ कुसुमलता निंगवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय, समस्त सम्मान्य कार्यपरिषद सदस्यों, कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों, शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, गणमान्य नागरिकों एवं मीडिया आदि के समवेत सहयोग और प्रयासों से यह विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति कर रहा है।

आत्मनिर्भरता के दिशा में बढ़ते विश्वविद्यालय के कदम

विश्वविद्यालय द्वारा इन्क्यूवेशन सेंटर की स्थापना की गई है, जहाँ पर विद्यार्थियों को रोजगार स्थापित करने हेतु शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी तथा परियोजना निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्तमान समय में यह स्मार्ट सिटी कार्यालय में संचालित है। विश्वविद्यालय के छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विश्वविद्यालय को मशरुम उत्पादन, रेशम उत्पाद और मत्स्य उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 12 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं। 27 से अधिक स्टार्टअप प्रारम्भ किए जा चुके हैं तथा 14 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं। ये इस बात को प्रमाणित करते हैं कि हमारे विद्यार्थी शिक्षा एवं अनुसंधान में नवाचार के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर अग्रसर हैं।