बहुचर्चित हत्याकांड में 12 साल बाद आया फैसला, सभी आरोपियों को पुलिस अभिरक्षा में भेजा जेल
उज्जैन। 28 मार्च 2009 को उज्जैन में एक दिल दहला देने वाली घटना घटित हुई इस घटना को अंजाम दिया था मधुर डेयरी के संचालक मोहन वासवानी ने। शहीद पार्क स्थित माणिक भवन की एक दुकान और एक कमरे के लिए सुनियोजित प्लानिंग कर वहां रहने वाले एडवोकेट नलिन शर्मा की हत्या टवेरा गाड़ी से करवा कर उसे एक्सीडेंट करार देने का षड्यंत्र किया गया था। इस काम में सुपारी किलर दुर्गा प्रसाद नामक बदमाश ओर राजकुमार राठौर, राजेश शर्मा को शामिल कर 28 मार्च 2009 की सुबह जब एडवोकेट नलिन शर्मा प्रतिदिन की तरह दूध लेने जा रहे थे उसी दौरान टवेरा गाड़ी ने उन्हें इतनी जोर से टक्कर मारी कि वह 14 फीट दूर फिका गए। इस हत्याकांड में पुलिस ने पूर्व में मोहन वासवानी और अन्य को षड्यंत्र का दोषी मानते हुए गिरफ्तार किया था। पर बाद में जब सबूत सामने आए तो मोहन वासवानी और अन्य को धारा 302 का दोषी माना गया।
एडवोकेट नलिन शर्मा के भाई डॉ. उमेश शर्मा ने 12 साल तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और आखिरकार शुक्रवार को जिला सप्तम न्यायालय के न्यायधीश श्री शुक्ला ने आरोपी मोहन वासवानी ,दुर्गा प्रसाद और एक अन्य को आजीवन कारावास की सजा के साथ सभी पर 10-10 हजार का जुर्माना लगाया। इधर व्यवसाई मोहन वासवानी को आजीवन कारावास की सजा होने के बाद कोर्ट परिसर के बाहर कुछ लोगों द्वारा आतिशबाजी कर फटाके भी छोड़े गए
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