कुख्यात दारुड़िये रिंपी भदोरिया की कहानी, विद्यापति नगर के रहवासियो की जुबानी, 12वीं फेल इस टुच्चे को पटक पटक के मारा था पूर्व संपादक ने, ब्लैकमेलिंग से परेशान राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक ने लगाई एसपी से गुहार
उज्जैन। घर की महिला 1 दिन, 2 दिन, 8 दिन, 15 दिन किसी भी दारुड़िए पति की हरकतें सहन कर लेती है। लेकिन जब पानी सिर से ऊपर जाने लगता है तो घर की वहीं महिला कालका का रूप धारण कर ऐसी ठुकाई करती है की आस पड़ोसी भी हतप्रभ रह जाते हैं। शहर के ऐसे ही एक नशेड़ी को रोजाना घर जाने से पहले यही डर सताता है, आज फिर चप्पल, चांटे खाना पड़ेंगे।
कुछ यही हाल इन दिनों अजाक थाने के फरार आरोपी एवं विद्यापति नगर निवासी नशेड़ी रिंपी उर्फ राजीव भदोरिया का है। आए दिन घर में होने वाले इस की धुनाई की कहानी हम नहीं विद्यापति नगर के क्षेत्र के रहवासी ही बताते हैं। लड़खड़ाते हुए रात में जब ये अपने टूटी सी बाइक पर जैसे ही है घर पहुंचता है कुछ देर बाद अंदर से दे दनादन की आवाज में आने लगती है। शराब के नशे में होने वाले इस विवाद के कारण रहवासी भी खासे परेशान हैं।
तब पूर्व संपादक में पटक-पटक कर पिटवाया था
उल्लेखनीय है कि एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में नौकरी में रहते इसने खूब ब्लैकमेलिंग एवं संभ्रांत लोगो को धमकाया। एक दिन इसकी ब्लैकमेलिंग को पूर्व संपादक डॉ. विवेक चौरसिया ने पकड़ लिया और बख्तावर मार्ग स्थित घड़ी वाला कांप्लेक्स कार्यालय में इससे ब्लैक मेलिंग के संबंध में पूछताछ की तो या आधे पाव के नशे में संपादक को ही अपशब्द कहने लगा। संपादक भी उज्जैन के सिंहपुरी के हैं उनमें अपनी एक अलग ठसक है। फिर क्या था उन्होंने दारुड़िये रिम्पी को भरे ऑफिस में पटक पटक के मारा,ओर ऑफिस के चपरासियों के हाथों माधव नगर थाने में पकड़ाया। वहां भी तत्कालीन थाना प्रभारी ने इसकी जमकर पूजा पत्री की, हालांकि पुलिस पुत्र होने के चलते इस पर गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज नहीं हुआ। फिर भी संपादक के साथ मारपीट और अभद्रता का प्रकरण दर्ज होकर वर्तमान में प्रचलित है।
मुफ्त की शराब का आदि, एक पैक जाते ही भौंकना…
अब बात करते हैं अजाक थाने के फरार आरोपी रिंपी की कुछ ऐसी घिनौनी हरकतों की जिससे इसके साथ रहने वाले भी समझते हैं और सहन भी करते है। इसे जब भी किसी पार्टी में बुलाया जाता है तो जैसे ही देसी दारू इसके गले के अंदर गई कि यह 12वीं फेल अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन के किरदार में आ जाता है और पूरे शहरभर के कई संभ्रांत लोगो को उलुल जुलुल बोलने लगता है। यहां तक कि पिलाने वाले को ही अपशब्द कहने लग जाता है। देसी दारू के शौकीन इस दारुड़िये को फ्री की दारु बड़ी पसंद है और इतनी पीता है कि फिर उसी पार्टी में खाने के दौरान ओकने लगता है। (मतलब उल्टी करने लगता है )ये नजारा अमूमन कई पत्रकारों ने देखा हुआ है, क्योंकि कोई भी पार्टीकर्ता इसे इसलिए बुला लेता है कि चलो इस समय यह मुफलिसी में है। क्योंकि अखबार की नोकरी से निकाले जाने के बाद ये 500 रुपए के लिए दिन भर पुलिस कंट्रोल रूम के बाहर आने वाले आवेदकों को प्रेस में उनके समाचार छापने के नाम पैसे लेता है। ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो इसे समाचार छपवाने के नाम पैसा दे चुके हैं पर उनका समाचार छपता नहीं है, दूसरे दिन वे इसे ढूंढते हुए पुलिस कंट्रोल रूम के बाहर खरी खोटी सुना जाते है।
जिस थाली में खाना उसी में छेद करना….
शराबी एवं ब्लैकमेलर रिंपी की एक पुरानी आदत है यह जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है। जिस संस्थान में नौकरी करता था वहां से लेकर अब तक जिन भी लोगों ने इसका साथ दिया या मुसीबत में काम आए यह उन पर ही घुर्राया है। इसकी इसी हरकतों से परेशान होकर शहर के सभी इज्जतदार पत्रकारों ने इससे किनारा कर रखा है। और यहां तक कि इसके निकट रिश्तेदार भी इस से मुंह मोड़ चुके हैं।
*अगले अंक में फिर पढ़े इस टुच्चे की एक नई कहानी, जिसमे इस रिंपी ने एक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शासकीय शिक्षक को ब्लैकमेल किया। लेकिन वह नहीं डरे और उन्होंने एसपी से लगाई गुहार।*
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