आईएएस रावत के खिलाफ नियम विरुद्ध प्लॉट आवंटन व प्राधिकरण को लाखो का नुकसान पहुंचाने को लेकर लोकायुक्त में एफआईआर दर्ज, साहब के गलत काम में 8 अधिकारी कर्मचारी भी उलझे, लेकिन एक शातिर बाबू ने खुद को बचाया
उज्जैन। अपने ससुर के नाम लाखों के भूखंड को कौड़ियों के दाम लेने वाले उज्जैन विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ वर्तमान में आईएएस सोजान सिंह रावत के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने पद के दुरुपयोग, बेनामी संपत्ति खरीदने कि एफआईआर दर्ज की है। साथ ही उनके इस घोटाले में शामिल विकास प्राधिकरण के 8 अधिकारी कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है। अब इन सभी की गिरफ्तारी होगी।
तत्कालीन सीईओ रावत ने नियम विरुद्ध चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मनीष यादव के नाम त्रिवेणी विहार योजना में एचआईजी वर्ग का भूखंड क्रमांक ए 16/7 आवंटित करवाया था। करीब 1 करोड़ रुपए बाजार मूल्य का यह प्लॉट कर्मचारी कोटे (सिंगल टेंडर) में महज 25.61 लाख में आवंटित कर ताबड़तोड़ रजिस्ट्री करा दी गई थी। खास बात यही कि इस प्लॉट के एवज में प्रतिभूति सहित 25.40 लाख रुपए रावत के ससुर महावीर सिंह निवासी गुना ने अपने बैंक अकाउंट से प्राधिकरण में आरटीजीएस के जरिए जमा किए थे।
इस पूरे मामले में वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. राहुल कटारिया ने सूचना के अधिकार अंतर्गत निकाले गए दस्तावेजों के साथ लोकायुक्त को प्रमाणिक शिकायत की थी। जिस पर लोकायुक्त एसपी अनिल विश्वकर्मा के निर्देशन में हुई जांच के बाद सभी जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर प्रकरण कायम किया गया। करीब 1 साल तक चली जांच के बाद लोकायुक्त ने यह बड़ी कार्यवाई की है।
सीईओ रावत सहित यह अधिकारी बने आरोपी
मामले में लोकायुक्त ने तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी सोजान सिंह रावत, दैवेभो भ्रत्य मनीष यादव, महावीर यादव (प्रायवेट व्यक्ति सुजान सिंह रावत के ससुर) निवासी गुना म.प्र. श्री के.सी. पाटीदार कार्यपालन यंत्री, यूडीए, विनोद सिंघई, तत्कालीन अधीक्षण यंत्री, श्री नितिन यादव तत्कालीन योजना प्रभारी त्रिवेणी विहार, मुकेश सोलंकी, समिति सदस्य व योजना प्रभारी बाबू, जयदीप शर्मा, तत्का. संपदा अधिकारी यूडीए, सौरम कुमार दोहरे तत्का सहायक संपरीक्षक, यूडीए एवं अन्य के विरुद्ध अपराध क्रं. 221/ 2023 धारा 7, 13(1)ए. 13 (2) भ.नि.अधि. 1988 (संशोधन 2018 ) व 409, 420, 120-बी भादवि का प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया। अब इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी होगी एवं सभी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में मुकदमा चलेगा।
शातिर बाबू बच निकला, बाकी सबको उलझाया
इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड प्राधिकरण के “बाबू” की अहम भूमिका रही। क्योंकि इसकी लोकायुक्त के एक डीएसपी से नजदीकियों के चलते उसने इस मामले में अपने साथियों को तो उलझा दिया और वह स्वयं बच निकला। बताते हैं कि लोकायुक्त पुलिस ने जब पूरे मामले की जांच शुरू की तभी दस्तावेजों में ही इस बाबू की मिलीभगत सामने आ गई थी। पर क्योंकि वह पिछले कई सालों से लोकायुक्त में अपने ही विभाग कि मुखबिरी करता आ रहा है ऐसे में उसने हाथ पैर जोड़कर अपने को इस पूरे मामले से बचा लिया। लेकिन मामले में संपदा शाखा के कुछ निर्दोष बाबुओं से लेकर अधिकारी फंस गए।
कोरोना की दूसरी लहर में 23 भूखंडों का खेल
कोरोना महामारी कि दूसरी लहर के समय जब लोग अपनी जान बचाने में लगे थे उसे दौरान लोकायुक्त का मुखबिर “बाबू” जो कि प्राधिकरण में अहम भूमिका में है उसने और उसके साथियों ने पैसे कमाने की योजना बनाते हुए शिप्रा विहार योजना में 23 प्लॉट को लॉटरी के जरिए आवंटित कर एक और बड़ा खेल किया है। इस दौरान भी रावत ही प्राधिकरण के सीईओ थे। इस मामले में भी कई गंभीर गड़बड़ियां कर प्राधिकरण को करीब 5.50 करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचाया गया है। पूरे मामले में भी मय दस्तावेज लोकायुक्त पुलिस को शिकयत हो चुकी है।
आवास मिले दौरान प्लाट आवंटन में अनियमिताओं को लेकर पूर्व सीईओ सहित अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। जल्दी आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी। गड़बड़ी के एक अन्य गंभीर मामले कि भी जांच चल रही है।
सुनील तालान, डीएसपी लोकायुक्त उज्जैन
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