मामला तत्कालीन सीईओ रावत द्वारा किए गए कर्मचारी कोट के दुरुपयोग का, अपने ससुर के खाते से राशि डलवा कर खरीदवाया 60 लाख का प्लॉट

उज्जैन। उज्जैन विकास प्राधिकरण से जुड़े प्लॉट गड़बड़ी के मामले में लोकायुक्त पुलिस संगठन ने सख्ती भरा रुख अपनाया तो प्राधिकरण के अफसर सकते में आ गए। 3 माह से जो दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहे थे वह चंद घंटे में ही भेज दिए गए। इससे साफ है कि प्राधिकरण की संपदा शाखा के कर्मचारी जानबूझकर दस्तावेज देने में आनाकानी कर रहे थे। बुधवार को मामले में जांचकर्ता अधिकारी व डीएसपी लोकायुक्त सुनील कुमार तालान दलबल के साथ संपदा शाखा में दस्तावेज जप्ती करने पहुंचे थे। इसके बाद मामला सीईओ संदीप सोनी तक पहुंचा और उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए तत्काल दस्तावेज मुहैया करवा दिए।
लोकायुक्त भोपाल में दर्ज शिकायत प्रकरण क्रमांक 254/ई की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज प्राधिकरण द्वारा लोकायुक्त को उपलब्ध नहीं कराया जा रहे थे। जिसे लेकर गत 24 अगस्त को प्राधिकरण ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुख्य कार्यपालन अधिकारी को कड़ा आदेश पत्र जारी किया था। बावजूद इसके भी जानकारी नहीं गई तो लोकायुक्त टीम बुधवार को प्राधिकरण में उक्त दस्तावेज जप्त करने पहुंच गई। यहां संपदा अधिकारी शरद बर्वे को लोकायुक्त डीएसपी ने जमकर लताड़ लगाई और कहां की आप लोगों का यह रवैया ठीक नहीं है। इस पर उन्होंने उड़ के तृतीय श्रेणी लिपिक प्रवीण गहलोत को अपने केबिन में बुला लिया तो इस पर तालान ने तल्ख अंदाज में बर्वे से कहां की यह अधिकृत व्यक्ति नहीं है आप खुद जवाब दें और दस्तावेज उपलब्ध कराएं।
यह है गड़बड़ी व पद के दुरुपयोग का पूरा प्रकरण
प्राधिकरण की त्रिवेणी विहार योजना में कर्मचारी कोटे का एचआईजी प्लॉट क्रमांक ए 16/7 अस्थाई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मनीष यादव के नाम सांठगांठ से आवंटित कराया गया है। इस प्लॉट के एवज में तत्कालीन प्राधिकरण सीईओ सोजान सिंह रावत के गुना निवासी ससुर महावीर सिंह ने अपने स्टेट बैंक के अकाउंट से राशि प्राधिकरण में जमा की है। जिससे यह साफ है कि 60 लख रुपए की बाजार कीमत वाला उक्त भूखंड मात्र 25 लख रुपए की बोली में सीईओ ने अपने ससुर के लिए खरीदवाया है। पद के दुरुपयोग के इस मामले में हुई मय दस्तावेज शिकायत के बाद लोकायुक्त डीएसपी प्रकरण की जांच कर रहे हैं। इसी से संबंधित दस्तावेज देने में प्राधिकरण के जिम्मेदार आनाकानी कर रहे थे।
पूरा सिस्टम पर भारी एक बाबू, मनमाना आदेश
प्राधिकरण के पूरे सिस्टम पर तृतीय श्रेणी लिपिक प्रवीण गेहलोत हावी है। किसी भी प्रकरण की जांच हो या सूचना के अधिकार से संबंधित कोई दस्तावेज उसकी मर्जी के बगैर प्राधिकरण में पत्ता तक नहीं हिलता। यही कारण है कि जांच से जुड़े मामलों पर को इस तरह टाला जाता है। प्राधिकरण में यूं तो सहायक संपदा अधिकारी का कोई पद ही नहीं है लेकिन तत्कालीन सीईओ रावत के कार्यकाल में बगैर सक्षम स्वीकृति बड़े बाबू व संपदा अधिकारी शरद बर्वे ने अपने हस्ताक्षर से उसे सहायक संपदा अधिकारी बना दिया था। बस इसी आदेश व हवाहवाई पद की आड़ में वह प्राधिकरण की पूरी संपदा शाखा सहित पूरे सिस्टम पर अपनी मनमानी चलाता है। जानते हुए भी वर्तमान सीईओ सोनी इस पूरे मामले पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे। इससे उनकी कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
इनका कहना
लोकायुक्त भोपाल से दर्ज जांच प्रकरण में जरूरी दस्तावेज प्राधिकरण द्वारा नहीं दिया जा रहे थे। जिस पर फाइल जप्त करने टीम पहुंची थी इसके कुछ घंटे बाद दस्तावेज सीईओ द्वारा उपलब्ध कराए गए। मामले में जल्द आगामी कार्रवाई की जाएगी।
सुनील कुमार तालान, डीएसपी लोकायुक्त उज्जैन
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